🌼😊🌼😊🌼 श्री राधे 🌼😊🌼😊🌼
शास्त्रोक्त राधा जी के 32 नाम
1: मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !! | 17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !! |
2: सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !! | 18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !! |
3: परम् पुनीता राधा ! राधा !! | 19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !! |
4: नित्य नवनीता राधा ! राधा !! | 20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !! |
5: रास विलासिनी राधा ! राधा !! | 21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !! |
6: दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !! | 22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !! |
7: नवल किशोरी राधा ! राधा !! | 23 : सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !! |
8: अति ही भोरी राधा ! राधा !! | 24 : परम् अनूपा राधा ! राधा !! |
9: कंचनवर्णी राधा ! राधा !! | 25 : परम् हितकारी राधा ! राधा !! |
10: नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !! | 26 : कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !! |
11: सुभग भामिनी राधा ! राधा !! | 27 : निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !! |
12: जगत स्वामिनी राधा ! राधा !! | 28 : नवल भामिनी राधा ! राधा !! |
13: कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !! | 29 : रास रासेश्वरी राधा ! राधा !! |
14: आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !! | 30 : स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !! |
15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !! | 31: सकल गुणीता राधा ! राधा !! |
16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !! | 32 : रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !! |
कर जोरि वन्दन करूं, मैं नित नित करूं प्रणाम, रसना से गाती/गाता रहूं , श्री राधा राधा नाम !! |
श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। जो भी श्रद्दापूर्वक राधा जी के नाम का आश्रय लेता है वह प्रभु की गोद में बैठ कर उनका स्नेह पाता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में स्वयं श्री हरि विष्णु जी ने कहा है की जो व्यक्ति अनजाने में भी राधा कहता है उसके आगे मैं सुदर्शन चक्र लेकर चलता हूँ, उसके पीछे स्वयं शिव जी उनका त्रिशूल लेकर चलते हैं, उसके दाईं ओर इंद्र वज्र लेकर चलते हैं और बाईं तरफ वरुण देव जी छत्र लेकर चलते हैं।
BRAJ RASIK - SANKIRTAN
सहज स्वभाव परयौ नवल किशोरी जू कौ,
मृदुता, दयालुता, कृपालुता की रासि हैं ।
नैकहूं न रिस कहूं भूले हू न होत सखि,
रहत प्रसन्न सदा हियेमुख हासि हैं ।
ऐसी सुकुमारी प्यारे लाल जू की प्रान प्यारी,
धन्य, धन्य, धन्य तेई जिनके उपासिहैं ।
हित ध्रुव ओर सुख देखियत जहां लगि,
सुनियत तहां लगि सबै दुख पासि हैं ।
मृदुता, दयालुता, कृपालुता की रासि हैं ।
नैकहूं न रिस कहूं भूले हू न होत सखि,
रहत प्रसन्न सदा हियेमुख हासि हैं ।
ऐसी सुकुमारी प्यारे लाल जू की प्रान प्यारी,
धन्य, धन्य, धन्य तेई जिनके उपासिहैं ।
हित ध्रुव ओर सुख देखियत जहां लगि,
सुनियत तहां लगि सबै दुख पासि हैं ।
श्री राधा रानी के स्वभाव का वर्णन करते हुए श्री ध्रुवदास जी कहते हैं कि हमारी किशोरीजी का स्वभाव अत्यंत ही सरल और मधुर है और कभी भी इनको क्रोध नहीं आता और निरंतर इनके चेहरे पर मृदु मुस्कान रहती है। यह मृदुता, कृपालुता और दयालुता की साक्षात मूर्ति एवं राशि हैं। यह प्यारे श्री कृष्ण जी को प्राणों से भी अधिक प्यारी हैं और राधा रानी के उपासक धन्य, धन्य, धन्य हैं। ध्रुवदास जी के शब्दों में, ऐसी राधारानी की उपासना को छोड़कर अन्य संपूर्ण सुख, दुख रूप ही हैं।